राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB) द्वारा आयोजित स्नातक स्तर की समान पात्रता परीक्षा (CET) अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाई है। बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने स्वयं स्वीकार किया कि यह परीक्षा उस उद्देश्य को पूरा करने में विफल रही, जिसके लिए इसे शुरू किया गया था।
CET परीक्षा का उद्देश्य और विफलता
CET परीक्षा का मुख्य उद्देश्य सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाना था। इस परीक्षा के जरिए उम्मीदवारों की योग्यता को परखा जाना था, ताकि उन्हें आगे की भर्ती परीक्षाओं में शामिल होने के लिए उपयुक्त माना जा सके। हालांकि, RSMSSB के अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि यह परीक्षा अपने लक्ष्य को पूरी तरह से हासिल नहीं कर पाई है।
दो बड़े फैसलों पर पुनर्विचार की जरूरत
RSMSSB के अध्यक्ष ने दो बड़े फैसलों को CET की असफलता की मुख्य वजह बताया:
- नेगेटिव मार्किंग हटाना – परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग नहीं होने के कारण कई ऐसे उम्मीदवार भी पास हो गए, जो वास्तव में पात्र नहीं थे।
- कट-ऑफ 40% तय करना – परीक्षा में न्यूनतम कट-ऑफ 40% निर्धारित करने से बड़ी संख्या में उम्मीदवार क्वालिफाई कर गए, जिससे स्क्रीनिंग प्रक्रिया का उद्देश्य कमजोर पड़ गया।
अवांछित परिणाम और आगे की रणनीति
इन फैसलों के कारण लगभग 75% उम्मीदवार परीक्षा में उत्तीर्ण हो गए, जिससे परीक्षा की मूल भावना ही समाप्त हो गई। स्क्रीनिंग प्रक्रिया का उद्देश्य था योग्य और सक्षम उम्मीदवारों का चयन करना, लेकिन इतने अधिक उम्मीदवारों के पास होने से यह प्रक्रिया कमजोर हो गई।
अब, RSMSSB ने कार्मिक विभाग के साथ मिलकर इस समस्या पर विचार करने की योजना बनाई है। बोर्ड आने वाले समय में परीक्षा प्रणाली में आवश्यक सुधार करने के लिए कदम उठा सकता है, ताकि भविष्य में सही और योग्य उम्मीदवारों का चयन हो सके।
निष्कर्ष
राजस्थान CET परीक्षा की असफलता ने दिखाया कि बिना ठोस रणनीति के बदलाव करना भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। RSMSSB को अब इन गलतियों से सीखकर भर्ती प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाना होगा, ताकि योग्य उम्मीदवारों को सही अवसर मिल सके।